प्रतिशोध की ज्वाला को जब तपाया जाता है
प्रतिशोध की ज्वाला को जब तपाया जाता है
उचित अनुचित के अंतर को भुला दिया जाता है
जब जब नारी पर दांव लगाया जाता है
मनोरंजन का स्थान युद्ध क्षेत्र बन जाता है
पुत्र मोह व्यक्ति का राज धर्म बन जाती है
तब गुरु द्रोण की शिक्षा व्यर्थ हो जाती है
भीष्म प्रतिज्ञा नारी के अपमान का ज़हर पी जाती है
विदुर नीति भी अंधी, गूंगी,बहरी बन जाती है
नारी का अपमान राज सिंहासन सह जाता है
चीरहरण का दृश्य जब चुप्पी साध जाता है
नारी का मान सम्मान प्रश्न चिन्ह बन जाता है
तब तब कुरुक्षेत्र का मैदान दिखाई दे जाता है
भूपेंद्र रावत
20।04।2020