प्रतियोगिता
विषय: प्रतियोगिता
धरा है अपनी मंच एक
जीव सभी प्रतिभागी हैं
कोई गायन तो कोई नृत्य
कोई बहुत बड़ा सहभागी है
बन प्रतियोगी सभी यहां
आए हैं जीत ही पाने को
जीवन की है अभिलाषा सबमें
प्रतियोगिता सफल बनाने को
अपनी अपनी विधा दिखा
सब अपने राग सुनाते हैं
कोई कहता है देश प्रेम तो
कोई जीव प्रेम समझाते हैं
कोई है दिल का सच्चा जो
सबसे ही आस लगाता है
जीत मिले एक सच्चे को
हरि से अरदास लगाता है
तो कोई बनता चतुर बहुत
खुद को ही सयाना समझे है
हार जीत के खेल समझे ना
कहता सबको सब बच्चे हैं
प्रतियोगिता है जीवन
जीवन को धन्य बनाओ
जीव प्रेम के साथ साथ
देश प्रेम सिखलाओ
जय हिन्द जय भारत?
✍? पंडित शैलेन्द्र शुक्ला
?writer_shukla