प्रतियोगिता परीक्षा
प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता।
देता खुशी नौकरी पेशा (जॉब )
प्रतियोगिता परीक्षा में असफलता,
देता दर्द , तनाव गहरा ।
लगता जीवन ही बेकार है ।
विफलता ही सार हैं।
समय,पैसा, युवावस्था जूनून,
सब लगाते हैं दाँव पर |
बात साधारण की करते हैं।
सामान्य रहना बहुत बड़ी बात है।
आरक्षण की अलग ही मार है।
आज युवाओं की लम्बी बेरोजगार कतार हैं ।
झेल रहें हैं दंश युवा, युवा नर बेहाल हैं ।
कहते हैं सरकार,
हुनर साध लो ,अपना विकास कर लों।
केंद्रबिंदु हो आप
नवजीवित बनकर जीओं,
मुस्कुरा अपने जीवन पर, किस आधार पर।
भाषण अच्छा देते है, ये लोग ।
जो सब तरह से फेल।
कुर्सी के फेर में,
मतदाताओं के बेमेल में,
बोल रहे अच्छा
झेल रहें हैं सब जनता_
– डॉ. सीमा कुमारी ,बिहार (भागलपुर ) दिनांक – 12-1-022 की स्वरचित रचना है जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।