प्रतिदिन पर्यावरण दिवस मनाएंगे
रत्नों की जननी है बसुधा
नित हमको सबकुछ देती है
माँ जैसा दुलार-प्यार सब कुछ
बसुंधरा हमको देती है
आधुनिकतावादी भौतिक युग में
हमने नियमों को इसके भुला दिया
की हमने प्रकृति से छेड़छाड़
जगती को हमने रुला दिया
हो गयी पवन प्रदूषित आज
हम स्वछ हवा को तरस रहे
बृक्षों के कटने के कारण
अब बादल भी न बरस रहे
बृक्षों को काट काट कर हमने
धरती माँ को वीरान किया
बने अपने में होशियार हम
खुद का ही नुकसान किया
बहुत हुआ अब बंद करो
बसुधा पर अत्याचारों को
संस्कृति का सम्मान करो
न भूलो शिष्टाचारों को
आओ ‘दीप’ संकल्प लो ये
पर्यावरण को शुद्ध बनाओगे
बृक्षारोपण का पुनीत कार्य कर
बसुधा को हरा भरा बनाओगे
दीप’देखकर हरी-भरी बसुधा
पूर्वज भी खुशी से फूले नहीं समायेंगे
केवल पाँच जून को ही नही हम ,
प्रतिदिन पर्यावरण दिवस मनाएंगे
-जारी