प्रणाम
प्रथम गुरु को प्रणाम, जिसने जन्म दिया,
अपने सुख को बिसराकर,ममता का आँचल फैलाया,
द्वितीय गुरु को प्रणाम, जिसने चलना सिखाया,
उँगली पकड़कर इस जहां को दिखाया,
पूज्य गुरु को नमन, जिन्होंने अक्षर ज्ञान कराया,
धरा पर चाँद तारो से परिचय दिलाया,
धन्य धन्य वह गुरु, जो बने पथ प्रदर्शक,
धर्म कर्म का ज्ञान कराकर तोड़े मिथक,
कहते वेद पुराण गुरु की महिमा भगवान से बढ़कर,
करते सम्मान लेते आशीष, खड़े रहते सदा जोड़ दोनों कर,
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