प्रणय
“प्रणय निवेदन”
करता हूं,
तुमसे अपने ह्रदय का,
“प्रणय निवेदन”.
आ जाओ मेरी इस,
जीवन सरिता मेँ,
कविता रुपी धारा बनकर।
आ जाओ मेरी,
जीवन की बगिया मेँ,
खुशबू बिखेरने।
मेरे ह्रदय के सूने आँगन मेँ,
अपने ह्रदय का प्यार उडेलने।
आ जाओ मेरी तन्हाइयों को….दूर करने।
आ जाओ मुझे, रोमाँचित…और पुलकित करने।
आ जाओ मुझे अपने आप में….
समाहित करने।
आ जाओ मेरी साँसों को..महकाने।
तुम्हारे अपनत्व और अपनेपन से….
सराबोर हो जाना चाहता हूँ…मैं।
मैं..मैं नहीं…मैं
तुम मय हो जाना चाहता हूँ………