प्रणय मुकुलन
प्रणय मुकुलन
विरह के अश्रु बिंदु पर
मिलन का इंद्रधनुषी रंग देखा है
करुण -वियोग की ज्वाला में
प्रणय का रुदन देखा है
प्रतीक्षारत दृगों में
प्रेम का अमिट रंग देखा है
कैशोर्य अंकुर का मनमीत की प्रीत संग
मुकुलन देखा है
आशा के आनन पर
विरह का विस्मरण देखा है
कल्पना की पलकों पर
मिलन का इंद्रधनुषी रंग देखा है
प्रियतम प्रणय हमारा
स्रोतस्विनी अमृत धारा सरीखा है
तुम्हारे प्रणय समर्थन पर
हृदय में जीवन का स्यंदन देखा है
तुमसे हार कर हृदय
मिलन का मल्हार देखा है
वेदना श्रृंगार कर नव वधु का रूप धरे
तेरा दर्शन उस देव सरीखा है
प्रीत की मृतिका पर
नील -नभ का स्नेह -सिंचन देखा है
तुझ में ही युग-युगांतर की तृप्ति का बन्धन देखा है
सुनील पुष्करणा