प्रणय बंधन -7
उस बंधन की दूं दाद
न उम्र की ग़लती का हाथ
न जन्म का पुराना साथ
ऊपर से बनी जोड़ी रब हाथ
यह प्रणय बंधन था खास
बंधा पावन रीति-रिवाज
तन-मन से एक साथ
लगाव, सामंजस्य, सौहार्द
समर्पण और विश्वास
सजन साथ वो श्रृंगार
इश्क प्रीत लाड़ प्यार
जिंदगी मे हमसफ़र नात
सुख-दुख के साथी साथ
संग चलती जीवन नाव।
– सीमा गुप्ता