प्रचंड वेग हो तेरा
प्रचंड वेग हो तेरा रुके ना तेज वो तेरा।
तू शांति के मार्ग पे धर्म को ना त्यागना।।
तू बन अशोक ठीक है अखंड भारत ठीक है।
तू एक शोक में कभी धर्म को न त्यागना।।
प्रचंड वेग हो तेरा रुके ना तेज वो तेरा।
तू न्यायाधीश बनके कभी धर्म को ना भूलना।।
तू बन कर्ण ठीक है और मित्र धर्म ठीक है।
तुम मित्रता के नाम पे धर्म को ना त्यागना।।
प्रचंड वेग हो तेरा रुके ना तेज वो तेरा।
हंसी-मजाक ठीक है और खान-पान ठीक है।।
हंसी-मजाक में कभी ना धर्म विरुद्ध बोलना।
खान-पान में कभी ना धर्म को तू भूलना।।
प्रचंड वेग हो तेरा, रुके ना तेज वो तेरा।
हंसे ना कोई भी कभी कर्म तेरे देखकर।।
कर्म की तू चादरे बस धर्म संग ओढ़ना।
रहे ख्याल ये तुझे सम्मान को ना भूलना।।
प्रचंड वेग हो तेरा, रुके ना तेज वो तेरा।
धर्म मान है तेरा और मान को ना भूलना।।
धर्म ध्वजा उठा ले तू अब धर्म को न छोड़ना।
धर्म अस्त्र है तेरा धर्म शस्त्र है तेरा धर्म को ना त्यागना।।
प्रचंड वेग हो तेरा, रुके ना तेज वो तेरा।
राष्ट्रहित सर्वोपरि पर धर्म को ना भूलना।।
धर्म है तो राष्ट्र है इस बात को ना भूलना।
जातियों में बटके कभी धर्म को ना त्यागना।।
प्रचंड वेग हो तेरा….
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“ललकार भारद्वाज”