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7 Oct 2018 · 1 min read

प्रखर देख हैरान

भारतवासी एक हो, मान रहे क्यूँ हार ।
लोकतंत्र के राज में, तुम ही हो सरकार।।

दान और मतदान में, केवल दे लो ध्यान ।
सारे कष्टों की वजह,जान सको तो जान ।।

बटने की भी हद हुई, ‘प्रखर’ देख हैरान ।
समरसता दिखती नहीं, भारत देश महान ।।

यहाँ बुद्ध की राह है , हैं कबीर रसखान ।
बस दुनियाँ है मानती ,हम बैठे अनजान ।।

नव भारत सरदार का, करो सभी गुणगान ।
अगर चाहते आप हो ,जीवित रहे किसान ।।

-सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’

Language: Hindi
297 Views
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