प्रकृति
हाइकु
प्रकृति
सुंदर सृष्टि
सींचे इंद्रधनुष
खुशी सिंदुरी।
फैला गंदगी
शोध समीक्षा
करें मानव।
बुढाये ख्वाब
साझा धरा का कोना
रोती प्रकृति।
ढूंढते बच्चे
खुशहाल प्रकृति
खोजें न मिली।
दुखी प्रकृति
उजड़े उपवन
करो उपाय।
दिया आघात
कुदरत उजाड़ी
तूने मनुष्य।
सांसें टीसती
जीवन को मारती
दूषित वायु।
वृक्ष लुप्त हैं
सूखे ताल नदियां
प्रकृति सोचे।
नीलम शर्मा