प्रकृति
नमन मंच
विषय प्रकृति
तिथि 17/8/2020
विधा मुक्त
हरीतिमा लिए धरा
सुशोभित हो गई
हरी साड़ी में सजी
किनारी पुष्पों की
डोलती डालियाँ रंगीन
बनी भाँति भाँति की
साड़ी के अंदर सजी
ज्यो सुंदर सी बूटियाँ
प्रफुल्लित हो मन
झूमता मस्ती सँग
वनों ,वीथिकाओं
में सजे वृक्ष डाली
शोभित हो रही
सजीली रूपसी नार
गाती हुई झूमती
चले पछुआ बयार
सँग चलती बहार
अद्भुत छटा निराली
गाये अनूठी प्रकृति
मोहे मन मतवाली
प्रवीणा त्रिवेदी “प्रज्ञा”
नई दिल्ली 74