Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2020 · 1 min read

प्रकृति प्रहार

**प्रकृति प्रहार**
**************

प्रकृति-प्रहार से
सीख जाता है ये
अंहकारी मानव
जिन्दगी का पाठ
वर्ना रहता है सदा
जलेबी की भांति
एकदम टेढा-मेढ़ा
मोह- माया-लोभ
क्रोध और द्वेष की
चासनी में लिप्त
टपकता रहता है
अहम अहंकार का
चिकना गाढ़ा रस
हो जाता धूमिल
जब मिल जाता है
भू पर धूल कण में
खो जाता आस्तित्व
मिट जाता है अहम
समझता नहीं है वो
मानव को मानव
बन जाता है दानव
कर्म – कुकृत्यों से
भूल जाता है वह
खूद की मूल-जड़ें
धंस जाता वो खूब
बुराई की काई में
गहरी दलदल में
बन जाता है वो
पूर्णता निष्ठुर जटिल
नही निकल पाता
फंसा रहता है वो
वहीं यथास्थिति में
जब तक कि नहीं
लगती उसे ठोकर
नासूर जिंदगी की
और वो नहीं सीख
पाता है जीवन पाठ
जब जब भी होता है
ऐसा हाल सृष्टि पर
मानवीय मूल्यों का
संस्कृति संस्कारों का
मानवाधिकारों का
तब तब जब जब
पड़े दृष्टि कुदरत की
विस्थापित करने
प्राकृतिक संतुलन
करता है तब ईश्वर
प्राकृतिक प्रकोप और
सुखविंद्र वार-प्रहार
****************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 256 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

नशा किस बात का है।
नशा किस बात का है।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
दरवाज़ों पे खाली तख्तियां अच्छी नहीं लगती,
दरवाज़ों पे खाली तख्तियां अच्छी नहीं लगती,
पूर्वार्थ
हमने आवाज़ देके देखा है
हमने आवाज़ देके देखा है
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी जी लो
जिंदगी जी लो
Ruchika Rai
"तलाशिए"
Dr. Kishan tandon kranti
- दुनिया में मोहब्बत नही होती तो क्या होता
- दुनिया में मोहब्बत नही होती तो क्या होता
bharat gehlot
मुझ में ही तो
मुझ में ही तो
हिमांशु Kulshrestha
अंततः कब तक ?
अंततः कब तक ?
Dr. Upasana Pandey
दुनियादारी
दुनियादारी
श्रीकृष्ण शुक्ल
"फ़ुरक़त" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
एक हाथ में क़लम तो दूसरे में क़िताब रखते हैं!
एक हाथ में क़लम तो दूसरे में क़िताब रखते हैं!
The_dk_poetry
जीवन के सच तो शब्द होते हैं।
जीवन के सच तो शब्द होते हैं।
Neeraj Agarwal
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
SATPAL CHAUHAN
प्रकृत की हर कला निराली
प्रकृत की हर कला निराली
Er.Navaneet R Shandily
उसकी इबादत आखिरकार रंग ले ही आई,
उसकी इबादत आखिरकार रंग ले ही आई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नए मुहावरे का चाँद
नए मुहावरे का चाँद
Dr MusafiR BaithA
भय दिखा कर कोई महान नहीं हो सकता है, हां वो प्रेमपूर्ण होने
भय दिखा कर कोई महान नहीं हो सकता है, हां वो प्रेमपूर्ण होने
Ravikesh Jha
जी चाहता है
जी चाहता है
Shyam Sundar Subramanian
भोर
भोर
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
Harminder Kaur
* जगो उमंग में *
* जगो उमंग में *
surenderpal vaidya
प्रार्थना
प्रार्थना
Dr.Pratibha Prakash
3296.*पूर्णिका*
3296.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ऐ दिल की उड़ान
ऐ दिल की उड़ान
Minal Aggarwal
पधारे राम अयोध्या में
पधारे राम अयोध्या में
इंजी. संजय श्रीवास्तव
याद कब हमारी है
याद कब हमारी है
Shweta Soni
ज्यादातर युवक और युवतियों का अपने लक्ष्य से भटकने का कारण शा
ज्यादातर युवक और युवतियों का अपने लक्ष्य से भटकने का कारण शा
Rj Anand Prajapati
मेरे साथ किया गया दुर्व्यवहार अच्छा नहीं होता
मेरे साथ किया गया दुर्व्यवहार अच्छा नहीं होता
Dr. Man Mohan Krishna
पर्वत और गिलहरी...
पर्वत और गिलहरी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...