प्रकृति पर्यावरण बचाना, नैतिक जिम्मेदारी है
प्रकृति पर्यावरण बचाना, नैतिक जिम्मेदारी है
प्रदूषण रोकें धरती पर,आज तुम्हारी बारी है
आग उगलता है सूरज, ठंड बहुत ही भारी है
तूफानी बारिश का दौर, अनवरत धरा पर जारी है
जीवन पर संकट के बादल,प़लय की तैयारी है
जल जंगल जमीन बचाओ,ये नैतिक जिम्मेदारी है
दुनिया में जब मनुज को भेजा, सुंदर धरती सौंपी थी
खाने पीने और रहने को,फल फूल वनस्पति रोपी थी
झील और नदियों में तब, अमृत की गंगा बहती थी
जलचर थलचर नभचर जीवों की, प्रजाति सुखी रहती थी
मिटा दिए जल जंगल जमीन, विध्वंस यहां जारी है
संकट में हैं जीव सभी, मरने की तैयारी है
नहीं बचाया पर्यावरण तो, दुनिया खत्म होने वाली है
अपनी सुंदर धरा बचाना, नैतिक जिम्मेदारी है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी