प्रकृति चित्रण
मन मेरा विकलित,
थोड़ा चकित, थोड़ा अचंभित ।
तन मेरा व्याकुलित,
थोड़ा व्यथित, थोड़ा भ्रमित ।
धरा मुग्ध है,
प्रकृति क्षुब्ध है।
नभ निःशब्द है।
सरिता लुब्ध है।
जन मानस की, यही दशा दर्शित है।
क्या आडंबर है,
क्या पैगम्बर है,
क्या संस्कृति थी,
क्या विकृति थी,
विडंबना देखिए कायनात हर्षित है।
देवेन्द्र…✍✍