प्रकृति की पीड़ा
बढता हुआ यह कोरोना एक सबक दे रहा है
यह बदलता हुआ वक्त एक आदेश दे रहा है
ना करना कभी प्रकृति के साथ खिलवाड़
जीवन में एक यह कड़ा आदेश मिल रहा है
है मुश्किल घड़ी अब
जरा संभल के चल तू अब
आज खुली हवा में सांस लेना भी कितना दूबर हुआ है अब
ना कटते पेड़ तो और रखते अपनी प्रकृति का ख्याल
तो शायद ना होता यह अपने लोगों का हाल
यह सजा है अपनी गलतियों की
अब तो संभल जा अब तो सुधर जा
हे इंसानकरले अब से यह खुद से प्रण
ना होगा यह दोबारा कभी ना होगी यह गलती कभी
हे प्रभु अब समेट लो यह आई विपदा सारी
दूर करो यह कष्ट प्रभु मिटादो यह कोरोना बीमारी
** नीतू गुप्ता