प्रकृति की गोद
आज आए हम प्राकृति की गोद में,
मस्ती और उमंग छाई रोम रोम में,
कितना मनोरम, है कितना सुखद,
मिट गए मन के सारे खेद,
शुद्ध पवन बह रही मन्द मन्द,
हर तरफ है औषधि भरे पड़े कन्द कन्द,
न कोई चिंता न कोई शोक सब है मस्ती में मगन,
देख यहां की हरियाली भूल गए बस्ती और गगन,
पक्षियों का चहचहाना बच्चो का चिल्लाना,
राता पानी अभ्यारण्य का है यह झरना,
कहते सब इसको केरी का महादेव,
यहाँ करने एक बार स्नान तरसे देव,
यही सच्चा सुख,यही है आनंद,
।।।जेपीएल।।