Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Sep 2023 · 1 min read

प्रकृति का यौवन बसंत

प्रकृति का यौवन बसंत
ऋतुओं का राजा आया है,
वो बसंत की बहार लाया है।
ऋतुओं की जवानी ले संग,
देश धरा मंडल महकाया है।।

बसंत ने आ धरातल पर आज,
हरियाली कण कण फैलाई है।
ये झूम उठी है भारत हमारी,
वृक्षों की हर डाली मुस्काई है।।

रंग बिरंगे फूलों से है उपवन,
खुशबू मनमोहक बिखराई है।
चप्पा चप्पा है हरित धरा का,
प्रकृति ने मस्त धूम मचाई है।।

कोयल बगिया में गा रही है,
आम की हर डाली बोराई है।
तोता मोर पपिहा नाचते है,
वन्य जीवों में मस्ती छाई है।।

माँ सरस्वती की पूजा करते,
पावन बसंत पंचमी आई है।
शिरोमणी जनमानस प्रसन्न,
अन्धेरा हटा माँ प्रकाश लाई है।।

प्रकृति का यौवन ये बसंत है,
जाड़ों का हुआ अंत बसंत है।
ऋतुओं के बड़े संत बसंत है,
खिला सबका चेहरा बसंत है।।

सरसों के पीले फूल सुनेहरे,
धरा पे हैं हरियाली के डेरे।
ऋतुराज की हरियाली छाई,
है चप्पा चप्पा धरती को घेरे।।

बसंत ‘पृथ्वीसिंह बेनीवाल ’ मन भाया,
सदगुरु की कृपा नित पाई है।
मैं सबको करूं नवण प्रणाम,
बसंत में ऋतु ने ली अंगड़ाई।।

कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल

Language: Hindi
Tag

Language: Hindi
1 Like · 95 Views

You may also like these posts

4357.*पूर्णिका*
4357.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अंधेरा कभी प्रकाश को नष्ट नहीं करता
अंधेरा कभी प्रकाश को नष्ट नहीं करता
हिमांशु Kulshrestha
जिन्दगी तेरे लिये
जिन्दगी तेरे लिये
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
प्यार करोगे तो तकलीफ मिलेगी
प्यार करोगे तो तकलीफ मिलेगी
Harminder Kaur
माता पिता भगवान
माता पिता भगवान
अनिल कुमार निश्छल
अनाथों सी खूंँटियांँ
अनाथों सी खूंँटियांँ
Akash Agam
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
'रिश्ते'
'रिश्ते'
Godambari Negi
प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
पूर्वार्थ
लोग खुश होते हैं तब
लोग खुश होते हैं तब
gurudeenverma198
संकल्प
संकल्प
Shashank Mishra
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
Rajesh Tiwari
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
#हे राम !
#हे राम !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
दिल के पहरेदार
दिल के पहरेदार
C S Santoshi
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
मोहन का परिवार
मोहन का परिवार
जय लगन कुमार हैप्पी
DR Arun Kumar shastri
DR Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दो किनारे
दो किनारे
आशा शैली
जल्दी चले आना
जल्दी चले आना
Sudhir srivastava
दिल ने भी
दिल ने भी
Dr fauzia Naseem shad
नींद
नींद
Vindhya Prakash Mishra
जब अकेले ही चलना है तो घबराना कैसा
जब अकेले ही चलना है तो घबराना कैसा
VINOD CHAUHAN
जन्मभूमि
जन्मभूमि
Rahul Singh
होश संभालता अकेला प्राण
होश संभालता अकेला प्राण
©️ दामिनी नारायण सिंह
◆ मेरे संस्मरण...
◆ मेरे संस्मरण...
*प्रणय*
तुम मेरे दिल की धड़कन हो।
तुम मेरे दिल की धड़कन हो।
श्रीकृष्ण शुक्ल
तेरा बहुत बहुत शुक्रिया ए जिंदगी !
तेरा बहुत बहुत शुक्रिया ए जिंदगी !
ओनिका सेतिया 'अनु '
" धीरे-धीरे"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...