प्रकृति का उपहार
प्रकृति ने जो हमें उपहार दिया है,
तुम इसको न गँवाओ।
न काटो तुम पेड़ को,
न इसको तुम रूलाओ।
कितने फल देते यह हमको,
तुम इसका मजा उठाओ।
फूल खिलाओ चारो तरफ तुम,
इससे घर-आँगन को सजाओ।
न जाने यह पेड़ कितने
जीव-जन्तुओं का डेरा है,
न जाने कितने पक्षियों ने
डाला इस पर बसेरा है ।
इसको काटकर न तुम,
इन सबके संसार को मिटाओ।
पेड़ लगाओं चारों तरफ ,
तुम इसको और बढ़ाओ।
कितने जीवों का न जाने
इससे जीवन चलता है,
हम सब को ऑक्सीजन भी,
तो इससे ही मिलता है।
गर्मी से राहत भी तो
पेड़ ही हमको देता है।
बारिश को धरती पर
पेड़ ही लेकर आता है।
इसलिए तुम चारो तरफ,
हरियाली को फैलाओ।
इस हरियाली से तुम
अपने जीवन को हरियाओ।
इसके साथ बैठकर तुम
जीवन का लुफ्त उठाओ।
यह प्रकृति से हमें मिला हुआ
जीवन का अनमोल वरदान है।
इसको पूरे दिल से तुम
अपने जीवन में अपनाओ।
इसको अपने जीवन का
अहम हिस्सा तुम बनाओ।
धरती पर जीवन के लिए
तुम अब पेड़ बचाओ।
पेड़ लगाओ,पेड़ लगाओ,
बस,पेड़ लगाते ही जाओ ।
~अनामिका