प्रकाश
हे सृष्टि नियन्ता जगत प्रकाशक
कर प्रकाश बन पथ विस्तारक ।
हार गयी लड़ अंधकार से
दे ज्योति ज्ञान की हे भव तारक ।
स्व पथ से मैं कभी न भटकूँ
इतना पथ आलोकित कर दो |
कठिन वायु भी बुझा न पाए
दीप में इतना सम्बल भर दो |
हे सृष्टि नियन्ता जगत प्रकाशक
कर प्रकाश बन पथ विस्तारक ।
हार गयी लड़ अंधकार से
दे ज्योति ज्ञान की हे भव तारक ।
स्व पथ से मैं कभी न भटकूँ
इतना पथ आलोकित कर दो |
कठिन वायु भी बुझा न पाए
दीप में इतना सम्बल भर दो |