प्रकाश एवं तिमिर
राष्ट्रहित के ज्ञान का आकाश बन|
नेहरूपी प्रबलता की प्यास बन |
लिखे,तेरी जीवनी इतिहास नव |
जागरण गीतों को गा, प्रकाश बन |
तिमिर में अनचेतना का भूप है |
मन प्रकाशित ,दिव्यता का रूप है |
ज्ञान बिन मानव जगत की भूमि पर |
विश्व-बुधि संत्रास, औ क्षति-कूप है |
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता