प्यास ….
प्यास ….
होता नहीं है मन .अपना जब ये अपने पास ।
छलक उठती है नैनों से पिया मिलन की आस।
संभव नहीं मधुपलों को स्मृति से विस्मृत करना –
इन श्वासों में उन श्वासों की रहती जीवित प्यास।
सुशील सरना
प्यास ….
होता नहीं है मन .अपना जब ये अपने पास ।
छलक उठती है नैनों से पिया मिलन की आस।
संभव नहीं मधुपलों को स्मृति से विस्मृत करना –
इन श्वासों में उन श्वासों की रहती जीवित प्यास।
सुशील सरना