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29 Nov 2016 · 1 min read

प्यास का मतलब ये पानी ही समझते हैं

प्यास का मतलब ये पानी ही समझते हैं
बात दुनियाँ वाले पुरानी ही समझते हैं

रोज़ मरते हैं जीने की ख्वाहिश में लोग
यहाँ मौत को भी ज़िंदगानी ही समझते हैं

बात हक़ की थी तो वो तलवार हो गये
लोग फ़र्ज़ को परेशानी ही समझते हैं

कशिश नहीं कोई कसक़ नहीं जिसमे ऐसी
ज़िंदगी को हम बेमानी ही समझते हैं

नज़र ना पहचानें या अंजान हैं इनसे
दिल की बातें भी ज़बानी ही समझते हैं

चाँद को देखा है उन्होनें क़रीब से
आज भी इसे हम कहानी ही समझते हैं

क्या हुआ गर बसा लिया घर परदेस में’सरु’
अपने दिल को हिन्दुस्तानी ही समझते हैं

—–सुरेश सांगवान”सरु”

1 Comment · 494 Views
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