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24 Jun 2020 · 1 min read

प्यासी आँखों की

प्यासी आँखों की बात अधूरी है
कैसे कहूँ कि मुलाक़ात अधूरी है

माना के हर ख़्वाब की ताबीर नहीं
ख़्वाबों के बिना हर रात अधूरी है

कुछ तो है के लगता है तेरे बिन
जीवन की हर सौगात अधूरी है

कह दो ये रक़ीब से, रखवाला हूँ मैं
तेरे छल-बल-ओ-घात अधूरी है

हर खेल में जीत ज़रूरी थी साहब
इश्क़ में क्यों शय-ओ-मात अधूरी है

2 Likes · 4 Comments · 353 Views
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