‘प्यासा’कुंडलिया(Vijay Kumar Pandey’ pyasa’
एक कुंडलियां छंद-
गजब आज है मित्रता,सब पैसों का खेल।
पैसे ना हों पास तो, हुईं मित्रता फेल ।।
हुईं मित्रता फेल , किसी के फोन न आते ।
अगल -बगल ना पास, नही कोई बतियाते।।
कह ‘प्यासा’ रख ध्यान,जगत के इस चरित्र का।
अजब स्वार्थ संलिप्त , गजब है आज मित्रता ।।
-‘प्यासा’