प्याला।
इक आशंका की सुरा पिए इक आशाओं की मदिरा ले।
आधा प्याला दूधिया रहे आधा मावस से भरा रहे।।।
तुमको यदि मधु की चाहत है तो कायरता से दूर रहो।
जिस प्याले में रस भीरु भरा उससे सदैव ही दूर रहो।।
जो पाया अमृत मान पिया न पूछा उसने क्या डाला।
उस मीरा के अनुगामी हैं जो विष को करती थी हाला।।
होंठो के उपर तैर रही मुस्कानों की मधुरम मदिरा।
प्याला उसको लख करके ही हो गया सिंधु से भी गहरा।।
यह इंतजार का प्याला है बेचैनी इसकी हाला है।
सहने की अनुपम क्षमता है इसलिए खोजता प्याला है।।
कुमारकलहंस।