प्यार
बहाने तुम्हारे सताने लगे है,
क्यूं रातों की नीदें उड़ाने लगे हैं।
नहीं तोड़ दे प्रेमबंधन कहीं,
बनाने में जिसको जमाने लगे हैं।।
हवाओं के रुख भी बदलने लगे,
बन के बवंडर डराने लगे है।
बिखरे नहीं प्रेम का एक तिनका,
यहां लोग अंडे उड़ाने लगे हैं।।
बनाई थी हमने जो प्रेममाला,
हां उसे तोड़ने में बेगाने लगे हैं।
विश्वास धागा है प्रेम मोती,
पिरोने मे जिसको जमाने लगे हैं।।
सच बोल दो यूं बहाने न मारो,
अगर तेरे पीछे दीवाने लगे हैं।
मेरा क्या मैं तो यूं ही हूं ‘संजय’,
पहले भी हमतो ठिकाने लगे हैं।।
संजय/जय हिंद