प्यार
प्यार –
अरमानों का निकला चाँद हलचल दुनियां में भाग्य भगवान जैसा।।
जग मग तारे दीप प्रेमी प्रेम की चाहत जैसा सुंदर चाँद कि हद इश्क चाँदनी जैसा।।
हवाओं के झोंके जुल्फो में छिपा चांद सा चेहरा सावन कि घटाओ में छुपे चाँद के जैसा।।
आँखों का काजल सावन का बादल शर्म से नजरो का झुक जाना चाँद के शर्माने जैसा!!
हर तरफ प्रेम की मल्लिका कि खुशबु चाँद कि चांदनी में कलियों के खिलने जैसा ।
चाँद का प्यार सागर की प्रेम गहराई जैसा ।।
चाँद से चॉदनी प्रेम का चाँद दिल में उजियार जैसा।
चाँद का दाग हुस्न के गालो पे काला तील जैसा ।।
चाँद सा हुस्न का मुस्कुराना दिलों पे बिजली गिरना चमक चाँद के जैसा।!
निकलते चाँद कि लाली लवो के हुस्न कि लाली चाहत के पैमाने जाम जैसा।।
चाँदी जैसा रंग हुस्न का चाँद कि चाँदनी जैसा हुस्न कि हद हकीकत चाँद जैसा।।
चाँद का सबाब लम्हा लम्हा हुस्न इश्क के अफ़साने जैसा।।
चाँद का शाम ढ़ले आना चाँद का हुस्न इंतज़ार तराने जैसा।।
ढलती रात में चाँद का सुरूर हुस्न कि तपिस में परवानो के जल जाने जैसा।।
सर्द चाँदनी रातों में टपकती ओस कि बूदें सबनम के गिरने बिखरने जैसा।।
दूज का चाँद ,चौदवीं का चाँद, ईद का चाँद ,पूर्णवासी का चाँद प्यार हुस्न इश्क के नज़राने जैसा।।
मोहब्बत है नशा ,इश्क जुनुन ,हुस्न मैखाने जैसा ।
हुस्न दीवानो कि तमन्ना, चाँद जहां कि आरजू जैसा।।
हुस्न ,का इश्क इबादत ,चाँद कि चाहत दीदार प्यार यार जैसा।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।