प्यार
प्यार नुमाइश के घुँघरू की तान नहीं ।
प्यार बेहूदे साजों वाला गान नहीं ।
प्यार तथ्य है, यह अंधा अनुमान नहीं ।
प्यार किसी की हमदर्दी का दान नहीं ।
प्यार एक मीरा के विष की गरिमा है ..
प्यार बिहारी के कान्हा की महिमा है ।
प्यार सूर की राधा का मनमोहन है ।
प्यार आत्मा के प्रकाश का पूजन है ।
प्यार एक दर्शन है ब्रज की गलियों का ।
प्यार एक संग्रह है बिरुदावलियों का ।
प्यार एक श्रद्धा का मनु से वादा है ।
प्यार भक्त का प्रभु के लिए इरादा है ।
प्यार समर्पण के शिखरों का सूचक है ।
प्यार स्वयं का सबसे बड़ा विदूषक है ।
प्यार प्रदर्शन में भी सूफी दर्शन है ।
प्यार आस्था हेतु पवित्र समर्थन है ।
प्यार टिका है सबरी वाले बेरों में ।
प्यार टिका है भील निसाद मछेरों में ।
प्यार किसी ऊधव का भी उपदेश नहीं ।
प्यार धर्म है, ऋषियों का संदेश नहीं ।
फिर कहता हूँ प्यार नहीं बिक सकता है ।
नहीं स्वार्थ के पायों पर टिक सकता है ।
प्यार-प्यार है कोई झूठी शान नहीं ।
प्यार त्याग है मान और सम्मान नहीं ।
सबको मिल जाये यह वो सामान नहीं ।
प्यार किसी कोठे पर टिकी दुकान नहीं ।।
राहुल द्विवेदी ‘स्मित’