प्यार
******* प्यार ********
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प्यार हो जो गर जिस्मानी
कहें लोग उसे है बेईमानी
फब्तियां और छेड़खानी
हरकतें होती हैं बचकानी
प्रेम रूह से गर जुड़ जाए
कहते लोग उसे है रूहानी
दिल से दिल है मिल जाए
प्रेम जोड़े दीवाना दीवानी
किशोरावस्था में हो जाए
होती बहुत बड़ी नादानी
यौवन विचलित कर जाए
बोले चढ़ती युवा जवानी
अधेड़ उम्र में होते पथभ्रष्ट
गृहस्थी उजड़ी की निशानी
मूक बनके जो रूप निहारे
चोरी छिपे आँखमिचौनी
एक तरफा प्रेम तो अक्सर
होता हो जैसे रेगिस्तानी
चोरी गर कभी पकड़ी जाए
याद आ जाती होती नानी
मनसीरत दिल का है प्यारा
प्रसन्न होता चित का जानी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)