प्यार है लोकसभा का चुनाव नही है
अब तक न जाने कितना आजमाया है तुमने
हरेक बार मुझ-पर ही इल्जाम लगाया है तुमने
मै अगर मुंसिफ होता तो तुम्हें सजा-ए-मोहब्बत देता
मेरे सपनों पर बुल्डोजर चलाया है तुमने
मेरे जज़्बातो को मंजर-ए-शहर कर दिया उसने
मुझे बेतहाशा नफरत से तरबतर कर दिया उसने
अक्सर मुझसे कहती थी तुम मेरे दिल में रहते हो
और आज उसी घर से मुझे बेघर कर दिया उसने
कोई जोड़ नहीं है कोई घटाव नही है
मुझे मोहब्बत की सत्ता से लगाव नही है
तेरे सिवा कोई और उम्मीदवार मोहब्बत में नही
मेरा प्यार बस प्यार है लोकसभा का चुनाव नही है