प्यार है रब की इनायत या इबादत क्या है।
गज़ल
2122….1122….1122….22/112
प्यार है रब की इनायत या इबादत क्या है।
कोई मुझको ये बताए कि मुहब्बत क्या है।
जो डराकर के कमाई है वो शोहरत क्या है।
काम जो आए न इंसान के दौलत क्या है।
जिंदगी भर जो रहे साथ मेरे तेरी तरह,
छूट जाए दो ही दिन में वो भी आदत क्या है।
एक कुर्सी के लिए बांट दिया लोगों को,
जीत हो हार हो, लानत है सियासत क्या है।
भेड़ बकरी की तरह मार दिये जाते हैं।
आज दुनियां में भी इंसान की कीमत क्या है।
इश्क के नाम पे क्या क्या न सितम होते हैं,
आजकल प्यार मुहब्बत में जहानत क्या है।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी