प्यार से कर ली………. तो झुकाने दो |गीत| “मनोज कुमार”
प्यार से कर ली महोब्बत प्यार पाने को
वो कर लेंगे स्वीकार नजरें तो झुकाने दो
प्यार से कर ली……………..………………………………. तो झुकाने दो
हमदम आयेंगे करीब वो हमको सभालेंगे
फिर करेंगे जिकिर मेरा अपने तरानों में
आने दो आने दो फिर सावन आने दो
बरसेगी महोब्बत फिर आँखें नम होने दो
प्यार से कर ली……………..………………………………. तो झुकाने दो
जायेंगे भूल नफरत प्यार असर लायेगा
रहेंगे दूर कब तक प्यार आगाज लायेगा
दौलत वो ठुकरा देगी जरा पास आने दो
सज जायेगी महफ़िल उनको साथ आने दो
प्यार से कर ली……………..………………………………. तो झुकाने दो
लब्जों में लिहाज दिल में प्यार पायेगा
बन जायेंगे रिश्ते और एहसास आयेगा
आयेगी करेगी वो कबूल राँझे को
होगी वो बेताब बेहिसाब पाने को
प्यार से कर ली……………..………………………………. तो झुकाने दो
कर गयी घायल उसकी प्यारी सी नजर
दानिश्ता दिखाये वो अदाओं को मगर
संवेदना दिखायेगी बगावत करने दो
उड़गी फिर उन्मुक्त गगन हवा कम होने दो
प्यार से कर ली……………..………………………………. तो झुकाने दो
गोरे तन की ये नुमाईश देख होती हलचल
किताबों में भी तू है तेरी खुवाईश पलपल
ख्यालों में सही जरा उनसे मिलने दो
हो जायेगी मुलाकात जरा सुबह होने दो
प्यार से कर ली……………..………………………………. तो झुकाने दो
मेरी पहुँचेगी आवाज जब हमदम के कानों में
मेरा ही अधिकार है बस उनके शानों पे
सब जायेंगे वो भूल दिल की धड़कन बढ़ने दो
लिखोगी फिर मिटाओगी मेरा नाम पढने दो
प्यार से कर ली……………..………………………………. तो झुकाने दो
“मनोज कुमार”