प्यार समंदर
** प्यार समंदर
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मैं तो तुम को जी लूँ प्रेयसि,
काश ! कि तुम जीवन बन जाओ !
अगली पिछली सभी भुला दूँ ,
यदि तुम वर्तमान बन जाओ !!
*
वर्तमान को सुन्दर जी कर ,
सारा जीवन सहज गुजारा ;
ऐसा ही कुछ मंत्र फूँक दो-
या तुम स्वयं शंख बन जाओ !
*
स्पर्शों की अनुभूती से ,
जाने कितने लक्ष्य सधे हैं ;
वो क्षण सुखद सुखद कब होंगे –
जब मणि माला बन छू पाओ !
*
मैं भी बहुत-बहुत शर्मीला ,
खुल कर ना कुछ कह पाता हूँ;
डर रहता है कहीं कहीं तुम-
किसी और की ना हो जाओ !
*
कितने ही आशिक दुनियां में ,
करते रहे प्यार इकतरफा ;
कुछ तो दो संकेत प्यार का-
प्यार करो तो प्यार ही पाओ!
*
प्यार कभी ना लाभ-हानि है,
प्यार न गह्वर ना मचान है ;
प्यार समन्दर महज प्यार का –
पहले डूबो तब उतराओ !
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C/R @ स्वरूप दिनकर
25/11/2023
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