प्यार शब्द में अब पहले वाली सनसनाहट नहीं रही…
प्यार शब्द में अब पहले वाली सनसनाहट नहीं रही…
क्योंकि आज यह खुले व्यवसाय का ही रूप ले रही!
प्यारा एहसास ये कभी मुश्किल से ही जुबां पर लाते थे,
और कभी लाते भी थे तो वहीं शर्म से ही मर जाते थे!
…. अजित कर्ण ✍️