प्यार वो छुपाते हैं
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प्यार है तो क्यों वो छुपाते हैं।
हर घड़ी वो तो आजमाते हैं
आज तुम जो मिले नसीबों से।
अपना अब तुम्हें हम बनाते हैं
जो निगाहें मिली सनम से यूँ।
तो बुलंदी पे खुद को पाते हैं
हाथ तुमने कभी छुआ था यूँ।
चूम कर हाथ मुस्कुराते है
जख्म भरने लगा पुराना अब।
आओ फिर से नमक लगाते हैं
आरती लोहनी
मोहाली,पंजाब