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8 Apr 2023 · 1 min read

प्यार लिक्खे खतों की इबारत हो तुम।

प्यार लिक्खे खतों की इबारत हो तुम।
सच बताऊं प्रखर की इबादत हो तुम।।

प्यार सच्चा किया झूँठ फिर भी लगा।
गर सजा हो मुकर्रर अदालत हो तुम।।

माना मुमकिन हमारा मिलन ना हुआ।
दिल से चाहा नहीं ये सदाकत हो तुम।।

अश्क शबनम हुए फिर छलक भी गए।
कुछ तरस ना दिखी वो अदावत हो तुम।।

प्यार कितना तुझे दिल ये करता सनम।
टूटे दिल के लिए बस हिफाज़त हो तुम।।

सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर ‘

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