प्यार मेरा बना सितारा है —
ग़ज़ल —
क़ाफिया — आरा
रदीफ– है
2122–1212–22
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इश्क़ में दीद़ का नज़ारा है,
प्यार मेरा बना सितारा है।
माँगते यार हम दुआओं में,
आपका साथ जां से प्यारा है।
रुठकर आप जान लेते हो,
आपका ही हमें सहारा है।
रोज़ छुप के गुनाह करते जो,
वो भी सोचें कि क्या हमारा है।
आशिकी का उसूल है यारों,
खेल में मौत को पुकारा है।
इश्क़ में हम जिन्हें भुला बैठे,
याद उनको किया दुबारा है।
ग़म मिले हैं बहुत ज़माने में,
दिल खुदाया बना शिकारा है।
बंदगी बन गई इबादत ही,
आपको दिल में जब उतारा है।
मिल गए आप तो हमें प्रीतम
नाम ‘सीमा’ ने जब पुकारा है।
✍️ सीमा गर्ग ‘मंजरी’
मौलिक सृजन
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।