प्यार मेरा तू ही तो है।
तेरे कांधे में सिर रख कर,
रोने का मन बड़ा है,
आँखों को अपने आंसूओं से,
भिगोने का मन हुआ अब है ।
तेरे जाने के बाद उदासी तो,
घने बादल सी छा गई है,
केशुओ से उलझें अरमान,
न जाने कहाँ मुझे उलझा गई है।
अपने में ना खोया हूँ,
न और में नज़र आती है तू,
तेरे चेहरे की झलक पाने को,
यादों में हरदम खोजता हूँ।
सुकून धरती को नहीं है,
प्यासी सदियों से लगती है,
हंँसी ओठों में थी तेरे,
ख़ुशी दिल में मेरे उभरती है।
हूँ कायल तेरी आदतों का,
मंजिल तू ही तू लगती है,
सुकून तुझसे ही मेरा है,
प्यार मेरा तू ही तो है।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।