प्यार में
प्यार में पागल बन जाना अच्छा है
शायर बन जाने से
शायर रहता है ताउम्र भर पागल प्यार में ,
उसकी शायरी के हर शब्द
हर रोज ढूंढते हैं अपनी प्रेमिका को ,
उसका दिल और वह खुद हर रोज टूटता है
एक बार टूट जाने के बाद भी ,
जग के बसंत के मौसम भी
उसको लगते हैं पतझड़
प्यार में ठोकर खाने के बाद ,
वह हर रोज ढूंढता है अपनी प्रेमिका को
अपने शब्दों और किसी नव दंपति को देखने पर ,
उसका दिल हर रोज जख्मी होता है
रात की तन्हाइयों के लिखे शब्दों में ,
वहां नहीं पहन पाता ता उम्र भर सुंदर वस्त्र
अपनी प्रेमिका की याद में ,
प्यार में पागल पल भर में मर जाता है
या मार दिया जाता है
प्यार में शायर
हर रोज मरता है अपने शब्दों में ,
प्यार मैं कई पागल हो जाते हैं ठीक
प्यार में शायर कहां देखे हैं ठीक होते हुए ,
प्यार में पागल बन जाना अच्छा है
शायर बन जाने से ।।