Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 1 min read

प्यार में पागल हुआ

स्वप्न में दर्शन दिए, मन को लुभाया
तब तुम्हारे प्यार में पागल हुआ मन

भावना के सिन्धु में जब ज्वार आया
संतरण करती रही दिन-रात काया
तोड़कर तटबंध जब नव उर्मि भागी
तब तुम्हारे प्यार में घायल हुआ मन

घाव का रिसना परीक्षा प्रेम की है
फ़िक्र रहती नहीं खुद की क्षेम की है
वाष्पमोचन हो रहा जो अश्रुजल का
संघनित होकर वही बादल हुआ मन

कभी एकाकी नहीं मैं, याद तेरी
साथ रहती है सदा बनकर चितेरी
कर्णकुहरों में बसी है ध्वनि अनूठी
ज्यों थिरकते पाॅंव की छागल हुआ मन

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
298 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महेश चन्द्र त्रिपाठी
View all
You may also like:
इस दुनिया में सिर्फ मोबाइल को ही पता होता है उसका मालिक का क
इस दुनिया में सिर्फ मोबाइल को ही पता होता है उसका मालिक का क
Ranjeet kumar patre
ये कटेगा
ये कटेगा
शेखर सिंह
दीपों की माला
दीपों की माला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
डर के आगे जीत।
डर के आगे जीत।
Anil Mishra Prahari
किसी तरह मां ने उसको नज़र से बचा लिया।
किसी तरह मां ने उसको नज़र से बचा लिया।
Phool gufran
*जो भी अच्छे काम करेगा, कलियुग में पछताएगा (हिंदी गजल)*
*जो भी अच्छे काम करेगा, कलियुग में पछताएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
एक कहानी सुनाए बड़ी जोर से आई है।सुनोगे ना चलो सुन ही लो
एक कहानी सुनाए बड़ी जोर से आई है।सुनोगे ना चलो सुन ही लो
Rituraj shivem verma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
डाल-डाल तुम होकर आओ, पात-पात मैं आता हूँ।
डाल-डाल तुम होकर आओ, पात-पात मैं आता हूँ।
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
तेरे हक़ में
तेरे हक़ में
Dr fauzia Naseem shad
*
*"बादल"*
Shashi kala vyas
" जीत "
Dr. Kishan tandon kranti
😊😊😊
😊😊😊
*प्रणय प्रभात*
हनुमंत लाल बैठे चरणों में देखें प्रभु की प्रभुताई।
हनुमंत लाल बैठे चरणों में देखें प्रभु की प्रभुताई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
आज जो कल ना रहेगा
आज जो कल ना रहेगा
Ramswaroop Dinkar
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
Buddha Prakash
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
Rj Anand Prajapati
मुझको तो घर जाना है
मुझको तो घर जाना है
Karuna Goswami
नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ।
नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
कुछ लोग
कुछ लोग
Shweta Soni
स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाकर।
स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाकर।
surenderpal vaidya
वो मेरा है
वो मेरा है
Rajender Kumar Miraaj
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
5) “पूनम का चाँद”
5) “पूनम का चाँद”
Sapna Arora
दोहा पंचक. . . . .
दोहा पंचक. . . . .
sushil sarna
कू कू करती कोयल
कू कू करती कोयल
Mohan Pandey
2715.*पूर्णिका*
2715.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेरी इबादत करूँ, कि शिकायत करूँ
तेरी इबादत करूँ, कि शिकायत करूँ
VINOD CHAUHAN
मात पिता का आदर करना
मात पिता का आदर करना
Dr Archana Gupta
*बे मौत मरता  जा रहा है आदमी*
*बे मौत मरता जा रहा है आदमी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...