प्यार ? नहीं चाहिए ।
मुझे अब तेरा प्यार नही चहिये
मेरा दिल तेरे नाम में बर्बाद नहीं चाहिए
तू चाहे तब बात करूं ,यह बात नहीं चाहिए
मेरे दिल की तिजोरी की चाबी, दूजे हाथ नहीं चाहिए
तू चाहे तेरा गुलाम हो जाऊं ,यह स्वभाव नहीं चाहिए
मेरे इश्क के पंछी को ,सोने की सलाख नहीं चाहिए
तू औरों में खोई रहे मैं तेरा होता रहूं , यह मायाजाल नहीं चाहिए
मेरा दिल बेवकूफ है ,पर लाचार नहीं चाहिए
जमाने में होंगे आशिक तेरे हजारों
बात तो लग गई है ,अब आप से तू ना होना चाहिए
और प्यार तेरा झूठा सच्चा है ,यह भी नहीं जानना
जो आंखों का पर्दा चिर गया है ,तो ना रफू होना चाहिए
और दिल्लगी तेरी बहुत प्यारी थी, उसे तो याद रखेंगे
बेवकूफ इश्क में आज बने हैं , पर यह गलती ना बार-बार होनी चाहिए