प्यार नशा है
प्यार वो नशा है जो नहीं शराब में,
देखता हूं वो सपना जो नहीं मेरे ख्वाब में।
तेरे मीठे लफ्ज़ो का आह भरता हूं मैं,
नहीं कोई और मीठे रस के शबाब में।
मिलता है जो तेरे बाहों के साये में,
वो सुकून नहीं मिला किसी के आदाब में।
मेरे सांसो को जो मिलता है कूवत ,
वो नही मिला किसी दरख़्त के उन्नाब में।
जो छू ले तेरे हाथ मुझे महक जाए,
वो खुशबू नहीं मुझे हजारों गुलाब में।
प्यार वो नशा है जो नहीं शराब में,
देखता हूं वो सपना जो नहीं मेरे ख्वाब में।