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28 May 2022 · 1 min read

प्यार तुमने न मेरा गवारा किया।

गजल

212…..212…..212…..212
प्यार तुमने न मेरा गवारा किया।
फिर मुझे प्यार का क्यों इशारा किया।

इश्क की नाव बढ़ती भी आगे मेरी,
इसके पहले ही तुमने किनारा किया।

चोर निकले हैं नेता व अफसर कई,
देश को खूब लूटा घोटाला किया।

मैं हूँ शादीशुदा अब न मिलना कभी,
तिरछी नजरों से उसने इशारा किया।

चुन के भेजा था तुमको करो देश हित,
देश जनता को तुमने भी धोका दिया।

रोज बढ़ती हुई ऐसी महगाई में,
अब तो मुश्किल भी खाना निवाला हुआ।

देश प्रेमी न राणा सा देखा कोई।
घास की रोटी खाके गुजारा किया।

…….✍️प्रेमी

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