प्यार जबसे मिला खिल कमल हो गए
प्यार जबसे मिला खिल कमल हो गए
नैन तुमसे मिले फिर सज़ल हो गए
चुप रहे हम कहा कुछ नहीं था कभी
पर अधर बावरे ये विकल हो गए
प्यास कैसे बुझेगी बताओ हमें
स्त्रोत जल के सभी जब गरल हो गए
तुमको पाकर हमें आज ऐसा लगा
कर्म जैसे हमारे सफल हो गए
साथ रहकर तुम्हारे सजन आज तो
झोपड़ी भी हमें अब महल हो गए
थे अधूरे बहुत हम तुम्हारे बिना
तुम मिले ‘अर्चना’ हम ग़ज़ल हो गए
डॉ अर्चना