Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Sep 2023 · 1 min read

” प्यार के रंग” (मुक्तक छंद काव्य)

” प्यार के रंग” (मुक्तक छंद काव्य)

प्यार के रंग सजाता ये जीवन,
मिलकर खुशियाँ बिखेरता है वो प्यार।
दिल की धड़कन, सपनों की दुकान,
प्यार की गहराइयों में छुपा है ये जीवन का तार।।

1 Like · 425 Views

You may also like these posts

यह गोकुल की गलियां,
यह गोकुल की गलियां,
कार्तिक नितिन शर्मा
अपना  निर्णय  आप  करो।
अपना निर्णय आप करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शक
शक
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
सत्य की खोज में
सत्य की खोज में
Shweta Soni
चलो चाय पर करने चर्चा।
चलो चाय पर करने चर्चा।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
काव्य में अलौकिकत्व
काव्य में अलौकिकत्व
कवि रमेशराज
*स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी*
*स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी*
Ravi Prakash
" मौत "
Dr. Kishan tandon kranti
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
DrLakshman Jha Parimal
सौदा
सौदा
ओनिका सेतिया 'अनु '
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
#अंतिम प्रश्न !
#अंतिम प्रश्न !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
संतोष विद्यार्थी जी के जन्मदिन पर
संतोष विद्यार्थी जी के जन्मदिन पर
Sudhir srivastava
यूं कठिन राह कोई ना चुनता मगर– राम गीत।
यूं कठिन राह कोई ना चुनता मगर– राम गीत।
Abhishek Soni
कोशिशें हाथ
कोशिशें हाथ
Dr fauzia Naseem shad
एक लड़ाई जो आप जीतते हैं
एक लड़ाई जो आप जीतते हैं
पूर्वार्थ
तू फिर से याद आने लगी मुझको।।
तू फिर से याद आने लगी मुझको।।
Vivek saswat Shukla
सच तो जिंदगी भर हम रंगमंच पर किरदार निभाते हैं।
सच तो जिंदगी भर हम रंगमंच पर किरदार निभाते हैं।
Neeraj Agarwal
चक्र सुदर्शन धारी,अब चक्र चलाओ ना
चक्र सुदर्शन धारी,अब चक्र चलाओ ना
कृष्णकांत गुर्जर
छोड़ दिया ज़माने को जिस मय के वास्ते
छोड़ दिया ज़माने को जिस मय के वास्ते
sushil sarna
!..........!
!..........!
शेखर सिंह
3298.*पूर्णिका*
3298.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल _ शबनमी अश्क़ 💦💦
ग़ज़ल _ शबनमी अश्क़ 💦💦
Neelofar Khan
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
Dr. Narendra Valmiki
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
ओसमणी साहू 'ओश'
मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा इनाम हो तुम l
मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा इनाम हो तुम l
Ranjeet kumar patre
किस तरिया रोने तै डट ज्या बैठा बाजी हार के
किस तरिया रोने तै डट ज्या बैठा बाजी हार के
Baldev Chauhan
ये कैसे आदमी है
ये कैसे आदमी है
gurudeenverma198
सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री
सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री
Dr.sima
Loading...