प्यार के दो मीठे बोल बोलिये तो —आर के रस्तोगी
यार ! ख़ामोशी का पत्थर तोडिये तो |
प्यार के दो मीठे बोल बोलिये तो ||
दर पे दस्तक दे रही सूरज की किरणे |
उठ के बंदे बंद खिड़कियाँ खोलिए तो ||
रात बस्ती में किस किस का घर लुटा है |
उनके घर जाकर उनके आसूँ पोछिये तो ||
क्या जरूरत है अब आपके माँ-बाप को |
इसके बारे में कभी जरा सोचिये तो ||
आपकी करनी मुश्किल आपकी है |
अब जरा सा सर को नोचिए तो ||
मेरे घर के पास बहती है गंगा |
क्या हुआ जो पैर उसमे धोलिये तो ||
बेसुमार मोती बिखरे पड़े है इस जहाँ में |
डूब कर समन्दर में मोती खोजिये तो ||