Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Sep 2016 · 1 min read

प्यार की बारिश हो जाये/मंदीप

प्यार की बारिश हो जाये/मंदीप

चारो तरफ प्यार की बारिश हो जाये,
हर एक कली फूल बन जाये।

मिटा दो अब सभी फासले,
दो दिल अब एक हो जाये।

मत हार देख तुम दरिया को,
कर बरोसा खुद पर हर दरिया पार हो जाये।

सिख ले एक दूसरे से सभी,
हर एक आदमी इंसान बन जाये।

ना ले अगर हम दहेज किसी से,
किसी की बेटी आत्महत्या ना करने जाये।

साथ ना दे कभी झूठ का,
एक बार फिर राम राज आ जाये।

हो अगर दिल में प्यार ,
दो सरहदे एक हो जाये।

“मंदीप” बोल हमेसा प्यार की भाषा,
फिर इंसान तो क्या जानवर भी दोस्त बन जाये।

मंदीपसाई

Language: Hindi
2 Comments · 738 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हिरनगांव की रियासत
हिरनगांव की रियासत
Prashant Tiwari
नाराज नहीं हूँ मैं   बेसाज नहीं हूँ मैं
नाराज नहीं हूँ मैं बेसाज नहीं हूँ मैं
Priya princess panwar
लौट कर फिर से
लौट कर फिर से
Dr fauzia Naseem shad
जीवन चलती साइकिल, बने तभी बैलेंस
जीवन चलती साइकिल, बने तभी बैलेंस
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जो जिस चीज़ को तरसा है,
जो जिस चीज़ को तरसा है,
Pramila sultan
परवरिश
परवरिश
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मेखला धार
मेखला धार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
एक अच्छी हीलर, उपचारक होती हैं स्त्रियां
एक अच्छी हीलर, उपचारक होती हैं स्त्रियां
Manu Vashistha
Yaade tumhari satane lagi h
Yaade tumhari satane lagi h
Kumar lalit
पढ़ने की रंगीन कला / MUSAFIR BAITHA
पढ़ने की रंगीन कला / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
"पता"
Dr. Kishan tandon kranti
कोरे कागज पर...
कोरे कागज पर...
डॉ.सीमा अग्रवाल
:: English :::
:: English :::
Mr.Aksharjeet
पेड़ लगाए पास में, धरा बनाए खास
पेड़ लगाए पास में, धरा बनाए खास
जगदीश लववंशी
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
sushil sarna
क्या कहूँ
क्या कहूँ
Ajay Mishra
में स्वयं
में स्वयं
PRATIK JANGID
*चाल*
*चाल*
Harminder Kaur
रंगरेज कहां है
रंगरेज कहां है
Shiva Awasthi
2278.⚘पूर्णिका⚘
2278.⚘पूर्णिका⚘
Dr.Khedu Bharti
हिंदी पखवाडा
हिंदी पखवाडा
Shashi Dhar Kumar
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
Shweta Soni
हम रात भर यूहीं तड़पते रहे
हम रात भर यूहीं तड़पते रहे
Ram Krishan Rastogi
आंसुओं के समंदर
आंसुओं के समंदर
अरशद रसूल बदायूंनी
*अंगूर (बाल कविता)*
*अंगूर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
एक साँझ
एक साँझ
Dr.Pratibha Prakash
बड्ड यत्न सँ हम
बड्ड यत्न सँ हम
DrLakshman Jha Parimal
मोहब्बत
मोहब्बत
Dinesh Kumar Gangwar
जो पहले ही कदमो में लडखडा जाये
जो पहले ही कदमो में लडखडा जाये
Swami Ganganiya
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...