प्यार की पाती पर मुक्तक
प्यार की पाती पर मुक्तक
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अपने मधुर स्वप्नों को जरा आकार दीजिए।
जो दिल में है उसे आंखो से जरा कह दीजिए।
जो लिख न सको स्याही से कागज पर तुम।
बस एक कोरा कागज लिफाफे में भेज दीजिए।।
पढ़नी आती है प्रेम पाती तुम्हारी मुझे भी।
समझ आती है दिल में क्या तुम्हारे मुझे भी।
रखा था कोरा कागज मोड़ कर उसे भी पढ़ लिया।
कागज की तह में रखा था उसका पता मुझे भी।।
देर मत करो अब,जल्द मुलाकात कीजिए।
अपने सपनो को अब जरा साकार कीजिए।
करोगे देर जीवन में मेरे अंधेरा छा जायेगा।
उस अंधेरे को उजाले में परिवर्तित कीजिए।।
करता हूं प्रतीक्षा देर रात तक तुम्हारी मै।
भरोसे पे बैठा रहता हूं देर रात तक मै।
विश्वास है मुझे कभी न कभी तो आओगी।
साथ रहोगी मेरे साथ छोड़ूंगा न कभी मै।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम