प्यार की पाठशाला
प्यार की पाठशाला
सिखाया जाएगा पाठ वफा का।
होता क्या है अंजाम दगा का।
लाख टक्के का देंगे इल्म,
बेज़ुबान भी ज़रुर बोलेंगे।
होंगी जहाँ से नफरतें कोसों दूर,
हम प्यार की ऐसी पाठशाला खोलेंगे।।
ज़िक्र होगा ज़रुर हुस्न का।
अध्याय होगा ज़रूर इश्क का।
बताएँगे इश्क – ए – मर्ज का निचोड़,
दवा इस कदर प्याले में घोलेंगे।
होंगी जहाँ से नफरतें कोसों दूर,
हम प्यार की ऐसी पाठशाला खोलेंगे।।
सिखाई जाएगी आँखों की भाषा।
बताई जाएगी प्रेम परिभाषा।
मांगी जाएगी ज़रूर गुरुदक्षिणा,
मुफ्त की फीस न बसूलेंगे,
होंगी जहाँ से नफरतें कोसों दूर,
हम प्यार की ऐसी पाठशाला खोलेंगे।।
दिल बेवक्त क्यों धड़कता?
दर्द इश्क में क्यों है मिलता?
थम सी जाती जब साँसें,
यह पढ़ाना न भूलेंगे।
होंगी जहाँ से नफरतें कोसों दूर,
हम प्यार की ऐसी पाठशाला खोलेंगे।।
पाठ्यक्रम में होगी बेवाफाई।
बताई जाएगी ज़ख्मों की गहराई।
सोच-समझ वहाँ खानी कसमें,
वादों का हम वज़न तोलेंगे।
होंगी जहाँ से नफरतें कोसों दूर,
हम प्यार की ऐसी पाठशाला खोलेंगे।।
मोहब्बत की वर्षा बरसाई जाएगी।
विरह वेदना भी पढ़ाई जाएगी।
‘भारती’ तू ही प्रधानाचार्य होगा गुरूकुल का,
नहीं तो हल्ला बोलेंगे।
होंगी जहाँ से नफरतें कोसों दूर,
हम प्यार की ऐसी पाठशाला खोलेंगे।।
–सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू (हि.प्र.)